रोहड़ू: सेब हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है। बात करें हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों के जिलों की तो सेब यहां की अर्थव्यवस्था और लोगों की आर्थिकी का प्राथमिक संसाधन है। इन क्षेत्रों में बहुत से लोग ऐसे भी हैं, जो सेब से होने वाली कमाई पर पूरी तरह निर्भर है।
एक पेशे के रूप में उभर रही बागवानी
बागवानी की बात करें तो अब सेब के मामले में भी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है और प्रदेश के अंदर भी नई तरह की किस्में तैयार करके कम क्षेत्र में अधिक मुनाफा कमाने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। जागरूकता और तकनीक के मिलन से प्रदेश के युवा भी बागवानी को एक पेशे के रूप में स्वीकार कर रहे हैं और इस क्षेत्र से बढ़ चढ़कर आगे आकर जुड़ रहे हैं। जिससे ना केवल बागवानी को एक पेशे के रुप में जगह मिली है बल्कि युवा लोग रोज़गार की समस्या से इतर बागवानी को भी है एक उद्यमिता के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।
तकनीक दिलाएगी मुनाफा, रूटस्टॉक है भविष्य: मोहित शर्मा
मोहित शर्मा रोहड़ू से आते हैं, जो समुद्र तल से 1,554 m की ऊंचाई पर है। जहां सेब की पैदावार होती है मगर, रेड डिलीशियस वैरायटी के सेब जो सीडलिंग तकनीक से उपजाए जाते हैं, की उपज के लिए के लिए आश्यक चिलिंग आर्स पूरे न हो पाने के कारण बेहतर परिणाम नहीं मिल पाते, मगर रूटस्टॉक के साथ ऐसा मसला नहीं है और अब वो अधिक पैदावार कर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं।
मोहित शर्मा बताते हैं ग्लोबल वार्मिंग की समस्या ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है और जाहिर तौर पर इसका असर हिमाचल की बागवानी में भी देखने को मिलेगा। मौसम अब पहले जैसा नहीं है और ना अब पहले जितनी ठंड पड़ती है। तकनीक विकसित हो रही है और मौसम बदल गया है, ऐसे में आवश्यकता है पारंपरिक तरीकों से हटकर बागवानी में नई तकनीकों को अपनाने की। मोहित बताते हैं रूटस्टॉक एक बेहतर विकल्प है और कहा जा सकता कि बागवानी का भविष्य है। रूट स्टॉक के साथ सबसे बढ़िया बात ये है कि ये एक तो जगह कम घेरता है और सेब की गुणवत्ता बेहतर निकलकर आती है। इसके अलावा रूट स्टॉक पर तैयार की जाने वाली नई किस्मों के दाम भी बेहतर मिलते हैं। तो क्यों न ऐसी व्यवस्था की ओर जाया जाए जहां अधिक मुनाफा पाया जा सके। पहले का निवेश हालांकि ज़्यादा लग सकता है मगर उसे जल्द ही कवर किया जा सकता है। आज के समय में सेब में मेहनत से ज़्यादा सही तकनीक और अपने क्षेत्र और पेड़ को स्टडी करने की जरूरत है, और हर कोई बेहतर पैदावार कर के मुनाफा कमा सकता है।
बेहतर किस्मों से मिलेगा मुनाफा
मोहित शर्मा बताते हैं कि उन्होंने इटली स्थित ग्रीबा नर्सरी से रूट स्टॉक पौधे मंगवाकर रूट स्टॉक की दिशा में कदम बढ़ाया और पहले ही साल अच्छे परिणाम मिले। मैंने अभी फ़िलहाल रूट स्टॉक पर सेब की दो किस्मों “डार्क बैरन गाला” और “रैड वैलॉक्स” का उत्पादन शुरू किया, जिसमे ज़बरदस्त परिणाम मिले और पहले ही साल में 4000/डब्बे 20kg की दर से फसल भी बेच दी। जिसके लिए पहले सालों तक इंतजार करना पड़ता था।
अब वो वक़्त नहीं रहा जब सेब का पौधा लगा कर सालों फसल के लिए तक इंतज़ार करो, अब वक़्त है कम उर्वरकों और लागत से बेहतर गुणवत्ता वाले सेब तैयार करने का और अधिक मुनाफा कमाने का। हिमाचल और उत्तराखंड जैसे राज्यों के खास तौर पर उस क्षेत्र के लोगों को जहां सेब की पैदावार संभव है ज़रूर इस क्षेत्र में आगे आना चाहिए और अध्ययन और तकनीक की मदद लेकर प्रोफैशनल तरीके से बागवानी करनी चाहिए जो बेरोजगारी की समस्या का एक बेहतर हल है।
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